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Share Market : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पारस्परिक टैरिफ नीति ने एक बार फिर वैश्विक अर्थव्यवस्था में हलचल मचा दी है। शुक्रवार को भारतीय शेयर बाजार में बड़ी गिरावट देखने को मिली, जिसका मुख्य कारण ट्रंप द्वारा लगाए गए टैरिफ और चीन की जवाबी कार्रवाई रही। इन नीतियों ने दुनियाभर के निवेशकों के बीच घबराहट पैदा कर दी, जिसका सीधा असर भारतीय बाजारों पर भी पड़ा।

ट्रंप के टैरिफ और चीन की प्रतिक्रिया से फैली घबराहट

डोनाल्ड ट्रंप ने जब 180 से अधिक देशों पर भारी टैरिफ लगाने की घोषणा की, तो वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता की लहर दौड़ गई। निवेशकों को व्यापार युद्ध की आंशका सताने लगी। चीन ने जवाबी कार्रवाई करते हुए अमेरिका से आयात होने वाली सभी वस्तुओं पर 34% टैरिफ लगा दिया। इस कदम ने वैश्विक व्यापार पर संकट के बादल और गहरा दिए।

इस प्रतिक्रिया की वजह से भारत का सेंसेक्स 931 अंक यानी 1.2% गिरकर 75,365 अंक पर आ गया। वहीं, निफ्टी 346 अंक यानी 1.5% गिरकर 22,904 अंक पर बंद हुआ। यह गिरावट एक दिन में आई सबसे बड़ी गिरावटों में से एक रही।

10 लाख करोड़ रुपये की मार्केट कैप में गिरावट

शेयर बाजार की इस जबरदस्त गिरावट से निवेशकों को भारी नुकसान उठाना पड़ा। 4 अप्रैल को भारतीय शेयर बाजार में कुल 10 लाख करोड़ रुपये की पूंजी का सफाया हो गया। 2 अप्रैल को ट्रंप द्वारा टैरिफ की घोषणा के बाद से बीएसई में सूचीबद्ध कंपनियों का बाजार पूंजीकरण करीब 9,98,379 करोड़ रुपये घटकर 4,03,34,886 करोड़ रुपये रह गया।

सिर्फ सेंसेक्स की बात करें तो उसमें शामिल 30 कंपनियों में से 24 के शेयर लाल निशान पर बंद हुए। लगभग सभी सेक्टर्स में बिकवाली देखने को मिली, जिससे संकेत मिलता है कि गिरावट व्यापक थी।

सबसे ज्यादा नुकसान किन कंपनियों को हुआ?

टैरिफ की मार सबसे ज्यादा उन कंपनियों पर पड़ी जो अमेरिका को भारी मात्रा में निर्यात करती हैं। टैरिफ की वजह से उनके मुनाफे पर दबाव बढ़ने की आशंका है। ऑटो, मेटल और फार्मा कंपनियों के शेयर सबसे ज्यादा गिरे।

ट्रंप ने भले ही अभी फार्मा सेक्टर को टैरिफ के दायरे से बाहर रखा हो, लेकिन उन्होंने संकेत दिया है कि फार्मा पर भी जल्द ही बड़े टैरिफ लगाए जाएंगे। इस बयान का असर यह हुआ कि ल्यूपिन के शेयर 5.9%, सिप्ला 5.3%, डॉ. रेड्डीज लैब्स 3.6% और सन फार्मा 3.4% तक गिर गए।

धातु क्षेत्र भी भारी दबाव में

फार्मा के अलावा मेटल सेक्टर को भी टैरिफ की मार ने गहरे नुकसान में डाल दिया। नाल्को के शेयरों में 8.7%, हिंडाल्को में 8.1% और टाटा स्टील में 8.6% की गिरावट आई। सेल और वेदांता जैसी कंपनियों के शेयरों में भी 5% से अधिक की गिरावट देखने को मिली।

विदेशी और घरेलू निवेशकों की गतिविधियां

बीएसई के अनुसार, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने 1,200 करोड़ रुपये का निवेश तो किया, लेकिन उन्होंने 3,484 करोड़ रुपये के शेयर भी बेच दिए। दूसरी ओर, घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII) ने 1,720 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी की। यह दर्शाता है कि न केवल विदेशी, बल्कि घरेलू निवेशक भी बाजार की मौजूदा स्थिति को लेकर सतर्क हो गए हैं।