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संकट में अफ़्रीका: प्राकृतिक घटनाएँ घटती रहती हैं, कभी-कभी ये घटनाएँ मानव जीवन को अस्त-व्यस्त कर देती हैं और कभी-कभी ये घटनाएँ द्वीप को दो भागों में विभाजित कर देती हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार भारत अफ़्रीका से अलग हुआ और यह भाग उससे टकराकर एशिया में शामिल हो गया। इस टक्कर से हिमालय पर्वत श्रृंखला का निर्माण हुआ। यही कारण है कि इन्हें नवीन एवं कच्चा पर्वत कहा जाता है, जबकि अरावली पर्वतमालाएँ सुदृढ़ एवं ठोस हैं।

अफ़्रीका के बीच क्यों है दरार? 
भूवैज्ञानिकों के मुताबिक अफ्रीका पर दो टुकड़ों में बंटने का खतरा मंडरा रहा है। दरअसल, कुछ समय पहले इनके बीच में दरार दिखने लगी थी, जिसका आकार लगातार बढ़ता जा रहा है। मार्च 2023 में जब दरार की खोज की गई थी, तब यह 56 किलोमीटर लंबी थी, जो धीरे-धीरे आकार में बढ़ रही है। इसे देखते हुए भूवैज्ञानिकों को अफ्रीका के दो हिस्सों में बंटने की चिंता सता रही है।

हो सकता है नया महासागर - 
जियोलॉजिकल सोसायटी ऑफ लंदन के मुताबिक, लाल सागर से मोजाम्बिक तक 3500 किलोमीटर तक घाटी का एक लंबा नेटवर्क है। अब ये पूरा इलाका एक बड़ी दरार में तब्दील होता जा रहा है. सोसायटी के मुताबिक, अफ्रीका के मध्य में यह दरार एक नए महासागर का निर्माण कर सकती है।

अब सवाल ये भी उठता है कि क्या सच में अफ्रीका दो हिस्सों में बंट जाएगा. साथ ही सवाल ये भी है कि अगर अफ्रीका को दो हिस्सों में बांट दिया जाए तो कितना समय लगेगा? ऐसे तमाम सवालों के जवाब पाने के लिए भूवैज्ञानिक टेक्टोनिक प्लेटों पर शोध कर रहे हैं। ऐसी भी धारणा है कि यदि यह दो हिस्सों में बंट गया तो इसका एक हिस्सा भारत से आकर टकरा सकता है। एक भविष्यवाणी के अनुसार अफ्रीका महाद्वीप दो भागों में टूट जाएगा और एक भाग भारत से टकरा सकता है, यदि ऐसा हुआ तो भारत के तट पर विशाल पर्वत बन सकते हैं। 

अध्ययन क्या कहता है? 
एक अध्ययन के अनुसार, यह दरार लगभग 25 मिलियन वर्ष पहले सक्रिय रूप से विकसित होनी शुरू हुई थी। दरार की सीमा लगभग 3,500 किमी है। यह दरार उत्तर में लाल सागर से लेकर अफ़्रीकी महाद्वीप के दक्षिण-पूर्व में मोज़ाम्बिक तक फैली हुई है।

अफ्रीका दो भागों में क्यों बंट रहा है? इसके कारण वर्षों से बहस का विषय रहे हैं। भूवैज्ञानिकों का मानना ​​है कि धरती के अंदर भीषण गर्मी के कारण केन्या और इथियोपिया के नीचे का हिस्सा फैल रहा है। जिसके कारण बड़े-बड़े ज्वालामुखी फूटने लगे हैं। जिसके कारण दरारों से लावा निकल रहा है और दरारें बन गई हैं।

अफ़्रीका कब तक दो भागों में बँटा रहेगा? 
आंकड़ों और अध्ययनों के अनुसार, न्युबियन और सोमाली प्लेटें प्रति वर्ष लगभग 7 मिलीमीटर की दर से अलग हो रही हैं। फिलहाल यह दरार समुद्र तल से ऊपर है, लेकिन हर साल यह चौड़ी हो जाएगी और घाटी के अंदर की जमीन धंस जाएगी। यदि ऐसा हुआ भी तो अफ़्रीका को अलग होने में लाखों वर्ष लगेंगे।

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