₹10 and ₹500 notes update : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने हाल ही में घोषणा की है कि वह जल्द ही ₹10 और ₹500 के नए नोट जारी करेगा। ये नोट महात्मा गांधी (नई) श्रृंखला के तहत जारी किए जाएंगे और इन पर आरबीआई के नए गवर्नर संजय मल्होत्रा के हस्ताक्षर होंगे। यह घोषणा शुक्रवार को की गई, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि नोटों के मौजूदा स्वरूप में कोई बड़ा बदलाव नहीं होगा, केवल गवर्नर के हस्ताक्षर नए होंगे।
डिज़ाइन और सुरक्षा फीचर्स में कोई बदलाव नहीं
आरबीआई ने एक आधिकारिक बयान में कहा कि नए नोटों का डिज़ाइन महात्मा गांधी (नई) श्रृंखला के मौजूदा ₹10 और ₹500 के नोटों के जैसा ही होगा। इसका मतलब यह है कि इन नोटों का रंग, आकार और सुरक्षा से जुड़े सभी फीचर्स वैसा ही रहेगा जैसा पहले से जारी किए गए नोटों में था।
पुराने नोट रहेंगे वैध
केंद्रीय बैंक ने यह भी स्पष्ट किया है कि नए नोटों की जारी प्रक्रिया का यह मतलब नहीं है कि पुराने नोट अमान्य हो जाएंगे। पहले से प्रचलित ₹10 और ₹500 के नोट भी पूरी तरह से वैध रहेंगे और आम लोग उनका प्रयोग पहले की तरह कर सकेंगे। इससे यह सुनिश्चित होता है कि आम जनता को किसी प्रकार की चिंता या भ्रम में पड़ने की आवश्यकता नहीं है।
हाल ही में जारी हुए ₹100 और ₹200 के नए नोट
गौर करने वाली बात यह है कि पिछले महीने ही आरबीआई ने ₹100 और ₹200 के नोटों को भी नए गवर्नर संजय मल्होत्रा के हस्ताक्षर के साथ जारी किया था। दिसंबर 2024 में उन्होंने आरबीआई गवर्नर के रूप में कार्यभार संभाला था, और उन्होंने पूर्व गवर्नर शक्तिकांत दास का स्थान लिया था, जो छह वर्षों तक इस पद पर रहे।
मुद्रास्फीति और ब्याज दरों पर भी दिख रहा असर
संजय मल्होत्रा के गवर्नर बनने के बाद से देश की अर्थव्यवस्था को लेकर कुछ सकारात्मक संकेत मिले हैं। प्रमुख संकेतकों में मुद्रास्फीति की दर में गिरावट और ब्याज दरों में कटौती की प्रक्रिया शुरू होना शामिल है। यह संकेत देता है कि आरबीआई अब आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिए नीतिगत बदलावों पर ध्यान दे रहा है।
7 अप्रैल से शुरू होगी आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की बैठक
एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की अगली बैठक 7 अप्रैल से शुरू हो रही है। इस बैठक में नीतिगत दरों को लेकर चर्चा होगी और 9 अप्रैल को गवर्नर संजय मल्होत्रा इसकी घोषणा करेंगे। चूंकि यह बैठक नए वित्तीय वर्ष की पहली बैठक है, इसलिए इसे विशेष रूप से अहम माना जा रहा है।
रेपो दर में कटौती की उम्मीद
वित्तीय विशेषज्ञों का अनुमान है कि इस बार की बैठक में रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की कटौती हो सकती है। यदि ऐसा होता है तो यह लगातार दूसरी बार होगा जब आरबीआई ने रेपो दर में कमी की है। इससे रेपो रेट 6 प्रतिशत पर आ सकती है, जो बाजार में कर्ज को सस्ता करने और अर्थव्यवस्था को गति देने में सहायक हो सकती है। फरवरी में भी इसी तरह की कटौती की गई थी।
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Brijendra
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