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केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कहा कि भीमराव अंबेडकर द्वारा दिए गए संविधान में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षण में 'मलाईदार वर्ग' (क्रीमी लेयर) का कोई प्रावधान नहीं है. पीएम नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली कैबिनेट द्वारा लिए गए इस फैसले से बसपा प्रमुख मायावती और चंद्रशेखर की मांग पूरी हो गई है.

दरअसल, पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बसपा प्रमुख ने अनुसूचित जाति (एससी) के भीतर उप-वर्गीकरण की अनुमति देने वाले सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले का विरोध किया था। मायावती ने कहा, 'एससी और एसटी के आरक्षण के भीतर उप-वर्गीकरण की अनुमति है, हमारी पार्टी इससे सहमत नहीं है.'

दोनों ने विरोध किया

उन्होंने कहा, ''एससी और एसटी लोगों पर हुए अत्याचारों को एक समूह के रूप में सामना किया गया है और यह समूह एक ही है, इसे किसी भी तरह से उप-वर्गीकृत करना उचित नहीं होगा.'' उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील की. वहीं, नगीना सांसद चंद्रशेखर आजाद ने भी ऐसी ही मांग की.

नगीना से सांसद ने कहा कि आरक्षण को लेकर जब भी सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट ने कोई फैसला लिया है तो वह एससी/एसटी/ओबीसी के खिलाफ आया है. हम अपने लोगों को बंटने नहीं देंगे. क्योंकि, हमें अपने लोगों की परवाह है. बाबासाहेब अम्बेडकर ने कहा था कि जब उनके व्यक्तिगत हित और राष्ट्रीय हित के बीच टकराव होगा तो वह राष्ट्रीय हित को चुनेंगे। ऐसी स्थिति में, जब भी समुदाय के हित और राष्ट्रीय हित के बीच टकराव होगा, तो वे समुदाय के हित को चुनेंगे।

गौरतलब है कि एससी-एसटी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद शुक्रवार (09 अगस्त) को कैबिनेट की बैठक हुई. बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा हुई और निर्णय लिया गया कि संविधान के तहत प्रदत्त आरक्षण जारी रखा जाएगा. केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कैबिनेट ब्रीफिंग के दौरान यह जानकारी दी.

केंद्रीय कैबिनेट द्वारा लिए गए फैसलों पर मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि बी.आर. अंबेडकर के संविधान के मुताबिक एससी एसटी आरक्षण में 'क्रीमी लेयर' का कोई प्रावधान नहीं है. एससी-एसटी आरक्षण का प्रावधान संविधान के अनुरूप होना चाहिए.

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