लेटरल एंट्री विवाद : यूपीएससी में लेटरल एंट्री को लेकर चल रही बहस के बीच केंद्र सरकार ने मंगलवार को लेटरल एंट्री के विज्ञापन पर रोक लगा दी है. कार्मिक मंत्री ने इस संबंध में यूपीएससी अध्यक्ष को पत्र लिखा है. प्रधानमंत्री मोदी के निर्देश पर सीधी भर्ती के विज्ञापनों पर रोक लगा दी गई है.
कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्री जितेंद्र सिंह ने 'संघ लोक सेवा आयोग' (यूपीएससी) को पत्र लिखकर लेटरल एंट्री के जरिए भर्ती विज्ञापन को रद्द करने का अनुरोध किया है. जितेंद्र सिंह ने यह पत्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत के बाद लिखा है. लैटरल एंट्री के जरिए नियुक्तियों के ऐलान के बाद विपक्ष सरकार पर हमलावर है.
दरअसल 18 अगस्त को यूपीएससी ने विभिन्न मंत्रालयों में संयुक्त सचिव, निदेशक और उप सचिव के पदों पर 45 विशेषज्ञों की नियुक्ति के लिए भर्ती निकाली थी. ये भर्तियां लेटरल एंट्री के जरिए होनी थीं। हालांकि, विपक्ष ने इस पर हंगामा किया और सरकार के इस कदम को आरक्षण छीनने की व्यवस्था करार दिया. लेटरल एंट्री के जरिए भर्ती से निजी क्षेत्र के लोगों को भी मंत्रालयों में महत्वपूर्ण पदों पर काम करने का मौका मिलता है।
सरकारी मंत्रालयों में लैटरल एंट्री के माध्यम से नियुक्त कितने लोग काम करते हैं?
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने 9 अगस्त, 2024 को राज्यसभा में कहा कि पिछले पांच वर्षों में लेटरल एंट्री के माध्यम से 63 पद भरे गए हैं। इनमें से 57 अधिकारी वर्तमान में विभिन्न मंत्रालयों और विभागों में संयुक्त सचिव, निदेशक और उप सचिव के पद पर कार्यरत हैं। लेटरल एंट्री के माध्यम से भर्ती दो से तीन साल की अवधि के लिए संविदात्मक है। कुछ मामलों में नियुक्त व्यक्ति के प्रदर्शन के आधार पर अनुबंध की अवधि बढ़ा दी जाती है।
--Advertisement--