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भारत और देश- दुनिया में विभिन्न धर्मों के लोग रहते हैं, जिनमें से बौद्ध धर्म भी एक है। बौद्ध धर्म एक प्राचीन भारतीय धर्म है। इसकी स्थापना लगभग 2600 वर्ष पूर्व गौतम बुद्ध ने की थी। बौद्ध धर्म दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा धर्म माना जाता है।

बौद्ध केवल भारत में ही नहीं बल्कि विश्व के विभिन्न देशों जैसे चीन, कोरिया, जापान, श्रीलंका आदि में भी रहते हैं। त्रिपिटक ग्रंथ में बौद्ध धर्म का विस्तार से वर्णन किया गया है।

जब बौद्ध धर्म की स्थापना महात्मा बुद्ध ने की तो यह केवल एक दार्शनिक प्रस्थान था, जो धीरे-धीरे एक धर्म में परिवर्तित हो गया। वर्तमान समय में बड़ी संख्या में लोग बौद्ध धर्म के अनुयायी हैं। बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए पंचशील सिद्धांतों का पालन करना आवश्यक है, क्योंकि बुद्ध ने अपने अनुयायियों को जीवन जीने के लिए पंचशील सिद्धांतों का पालन करना सिखाया था। यह बौद्ध धर्म का मूल मंत्र भी है।

पंचशील सिद्धांत क्या है?

पंचशिला सिद्धांत महात्मा बुद्ध के पांच सिद्धांत हैं। इसमें गौतम बुद्ध द्वारा माने गए पांच सद्गुणों को शामिल किया गया है, जो मनुष्य को संयमित और नैतिक जीवन जीने का संदेश देते हैं। महात्मा बुद्ध ने पाली भाषा में पंचशील सिद्धांत के सिद्धांत दिये। जो गुजराती में इस प्रकार है-

बुद्ध के पांच सिद्धांत 

पाली भाषा-: पणथिपता वेर्मनि-शिखापदं समदयामि।
गुजराती अर्थ: पशु हिंसा से दूर रहें।

पाली भाषा-: आदिन्नदना वरमानी- सिक्कपदं समादायमि।
गुजराती में अर्थ: जो वस्तु न दी गई हो उसे चुराना या उससे दूर रहना।

पाली भाषा-: कामेसु मिचाचारा वरमानी- सिक्खपदम समादायमी
गुजराती में अर्थ: यौन दुराचार या व्यभिचार से दूर रहें।

पाली भाषा-: मुसावदा वरमानी- सिक्कपादं समदयामि।
गुजराती में अर्थ: झूठ बोलने से बचना।

पाली भाषा-: सुरा-मेरया-मज्ज-पमादत्तन वरमानी- सिक्खपदं समादायमि।
गुजराती में अर्थ: नशे से दूर रहें


बौद्ध धर्म का मूल मंत्र क्या है?

जो लोग बौद्ध धर्म को जानते हैं उनके लिए "बुद्धं शरणं गच्छामि" ही मूल मंत्र है। बौद्ध धर्म की मूल भावना को दर्शाने के लिए इस मंत्र का तीन शब्दों में अर्थ है, 'मैं बुद्ध की शरण लेता हूं' इसके दो अन्य श्लोक भी हैं "संघम शरणम गच्छामि" और "धम्मन शरणम गच्छामि"।

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