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तुलसी पूजा:  हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे को बहुत पवित्र और पूजनीय माना जाता है। तुलसी में कई औषधीय गुण भी होते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार तुलसी के पौधे में देवी लक्ष्मी का वास होता है। जिस घर में नियमित रूप से तुलसी मां की पूजा की जाती है, वहां देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु की कृपा हमेशा बनी रहती है। तुलसी के पौधे की रोजाना पूजा करनी चाहिए लेकिन उस पर जल चढ़ाने के भी कुछ विशेष नियम हैं, जिनका पालन करना जरूरी है।

तुलसी को जल देने के नियम

मान्यता है कि तुलसी मां को जल चढ़ाने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। तुलसी के पौधे पर जल चढ़ाते समय इस बात का ध्यान रखें कि जल चढ़ाने से पहले कुछ भी भोजन न करें। तुलसी को जल चढ़ाने के बाद ही कुछ खाना चाहिए।

तुलसी के पौधों को पानी देने का सबसे अच्छा समय सूर्योदय के 2-3 घंटे बाद का है। इस दौरान ही तुलसी को जल देना उत्तम माना जाता है। याद रखें कि तुलसी को हमेशा संतुलित मात्रा में ही जल देना चाहिए। तुलसी के पौधों को अधिक पानी देने से वे जल्दी खराब हो जाएंगे।

रविवार और एकादशी के दिन कभी भी तुलसी को जल नहीं देना चाहिए और इन दिनों में तुलसी के पत्तों को तोड़ना या छूना नहीं चाहिए। ऐसा माना जाता है कि तुलसी मां रविवार और एकादशी का व्रत रखती हैं और इन दिनों उन्हें जल चढ़ाने से उनका व्रत टूट जाता है।

तुलसी के पत्तों को कभी भी अनावश्यक रूप से न तोड़ें। तुलसी के पौधे में मां लक्ष्मी का वास माना जाता है, इसलिए जब भी तुलसी का पत्ता तोड़ें तो हमेशा हाथ जोड़कर उनकी अनुमति लें। इसे कभी भी चाकू, कैंची या कील से न तोड़ें। ऐसा करना अशुभ माना जाता है।

तुलसी को कभी भी बिना स्नान किए या अशुद्ध अवस्था में नहीं छूना चाहिए। इससे पूजा का कोई फल नहीं मिलता है। मान्यताओं के अनुसार तुलसी की पूजा करते समय महिलाओं को अपने बाल खुले नहीं रखने चाहिए, अन्य पूजा विधियों की तरह तुलसी की पूजा करते समय भी अपने बालों को बांध कर रखना चाहिए।

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