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Moon And Eid Ul Fitr : ईद एक ऐसा त्योहार है जो पूरे दिल से, पूरे जोश से और पूरे समर्पण के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार साल में दो बार आता है – एक बार ईद-उल-फितर के रूप में, जो रमज़ान के 30 दिनों के रोज़ों के बाद मनाई जाती है, और दूसरी बार ईद-उल-जुहा के रूप में।

ईद-उल-फितर को आमतौर पर “ईद” कहा जाता है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस खुशी के त्योहार का चाँद से क्या नाता है? आखिर क्यों हम ईद चाँद के दिखने के बाद ही मनाते हैं? चलिए, इसका सीधा और सुंदर जवाब जानते हैं।

दरअसल, ईद इस्लामी कैलेंडर हिजरी के मुताबिक मनाई जाती है, जो कि एक चंद्र कैलेंडर है। रमज़ान इस कैलेंडर का नौवां महीना होता है, और उसके बाद आता है दसवां महीना शव्वाल – जिसका पहला दिन ही होता है ईद का दिन। हिजरी कैलेंडर की खास बात ये है कि इसमें हर महीने की शुरुआत चाँद दिखने पर ही होती है।

यानी जब रमज़ान के बाद पहली बार नया चाँद नज़र आता है, तब शव्वाल की शुरुआत होती है और उसी के साथ मनाई जाती है ईद। अगर किसी दिन चाँद नहीं दिखता, तो रमज़ान का महीना एक दिन और बढ़ा दिया जाता है और ईद अगले दिन मनाई जाती है।

इस बार ईद 31 मार्च, सोमवार को मनाई जाएगी। इस दिन लोग नए कपड़े पहनते हैं, स्वादिष्ट सेवइयों का आनंद लेते हैं, रिश्तेदारों को गले लगाकर उपहार देते हैं और पुरानी शिकायतें भुलाकर नए रिश्ते बनाते हैं।

ईद की सुबह की एक खास बात होती है – जब सभी लोग एक-दूसरे के लिए दुआ करते हैं, शांति और भाईचारे की कामना करते हैं। यही तो है ईद की असली रौनक – दिलों का मिलना और खुशियों का बाँटना।

ईद सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि इंसानियत, भाईचारे और प्रेम का एक खूबसूरत संदेश है – जो चाँद की तरह उजाला फैलाता है।


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