सनातन धर्म में शरद पूर्णिमा को बहुत ही खास त्योहार माना जाता है। शरद पूर्णिमा के दिन देवी लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है। इसके अलावा भगवान विष्णु की पूजा करने से जीवन में धन की कमी दूर हो जाती है।
ज्योतिषी और प्रसिद्ध टैरो कार्ड रीडर नितिका शर्मा ने कहा कि शरद पूर्णिमा 16 अक्टूबर 2024 को मनाई जाएगी। हर वर्ष आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा कहा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन आसमान से अमृत की बूंदें बरसती हैं।
शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा पृथ्वी के सबसे करीब होता है। अंतरिक्ष के सभी ग्रहों से निकलने वाली सकारात्मक ऊर्जा चंद्रमा की किरणों के माध्यम से पृथ्वी पर गिरती है।
दूध पौआ को खुले आसमान के नीचे क्यों रखा जाता है (शरद पूर्णिमा खीर महत्व)
दूध पौआ-खीर (शरद पूर्णिमा खीर) बनाकर पूर्णिमा की चांदनी में खुले आसमान के नीचे रखने के पीछे वैज्ञानिक तर्क यह है कि इसमें औषधीय गुण होते हैं चंद्रमा की किरणों से खीर भी अमृत के समान हो जाएगी इसका सेवन सेहत के लिए फायदेमंद रहेगा.
शरद पूर्णिमा 2024 मुहूर्त और शरद पूर्णिमा 2024 मुहूर्त
शरद पूर्णिमा या कोजागरी पूर्णिमा 16 अक्टूबर 2024
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ - 16 अक्टूबर 2024 रात 8:45 बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त - 17 अक्टूबर 2024 शाम 4:50 बजे
शरद पूर्णिमा 2024 चंद्रमा उदय का समय
इस वर्ष शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा शाम 5:10 बजे उदय होगा, जो लोग व्रत रखना चाहते हैं वे 16 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा का व्रत कर सकते हैं और शाम को चंद्रमा की पूजा कर सकते हैं।
शरद पूर्णिमा पूजा विधि
- इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर पवित्र नदी में स्नान करें। अगर आप नदी में स्नान नहीं कर सकते तो घर पर ही गंगा जल से स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
- अब एक लकड़ी के पाटे या चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और उसे गंगा जल से पवित्र कर लें. माता लक्ष्मी की मूर्ति को एक चौकी पर स्थापित करें और लाल चुनरी पहनाएं।
- अब लाल फूल, इत्र, नैवेद्य, धूप, सुपारी आदि से मां लक्ष्मी की पूजा करें. इसके बाद मां लक्ष्मी के सामने लक्ष्मी चालीसा का पाठ करें.
- पूजा पूरी होने के बाद आरती करें. शाम के समय पुनः देवी मां और भगवान विष्णु की पूजा करें और चंद्रमा को अर्घ्य दें।
- चावल और गाय के दूध की खीर बनाकर चांदनी में रखें। आधी रात के समय देवी लक्ष्मी को खीर का भोग लगाएं और प्रसाद के रूप में परिवार के सभी सदस्यों को खिलाएं।
कोजागरी पूर्णिमा का एक अन्य नाम भी है (Kojagari Purnima kyu kehte)
शरद पूर्णिमा को देश के कई हिस्सों में कोजागरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। कोजागरी पूर्णिमा का त्योहार पश्चिम बंगाल, ओडिशा और असम में बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। कोजागरी पूर्णिमा पर भगवान विष्णु के साथ देवी लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है। पश्चिम बंगाल और ओडिशा में माना जाता है कि विधिपूर्वक पूजा करने से आर्थिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है और सुख-समृद्धि बढ़ती है।
शरद पूर्णिमा के दिन ही श्रीकृष्ण ने रचाई थी महारास लीला (Sharad Purnima relation with shri krishna)
पौराणिक मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन ही भगवान श्रीकृष्ण ने महारास रचाया था. इस दिन भगवान चंद्र की विशेष पूजा की जाती है और खीर का भोग लगाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार इस तिथि पर चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होता है।
शरद पूर्णिमा का महत्व (शरद पूर्णिमा व्रत और पूजा लाभ)
- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा के दिन ही समुद्र मंथन से देवी लक्ष्मी की उत्पत्ति हुई थी। इसलिए यह तिथि भी शुभ मानी जाती है।
- ऐसा माना जाता है कि इस दिन देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और जो लोग रात में जागकर देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं, वे उन पर अपनी कृपा बरसाती हैं और उन्हें धन और समृद्धि देती हैं।
- इस दिन चंद्रमा अपनी पूर्ण कला में होता है और चारों चंद्रमाओं की रोशनी पृथ्वी पर फैलती है। मानो धरती दूधिया रोशनी से नहा उठी हो।
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