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Share Market : भारतीय शेयर बाजार में सोमवार की सुबह एक बार फिर मुस्कुराहट लेकर आई। लगातार छठे कारोबारी दिन बाजार हरे निशान में खुला, जिससे निवेशकों के चेहरे खिल उठे। खास बात यह रही कि इस उछाल में बैंकिंग और आईटी कंपनियों की बड़ी भूमिका रही। बाजार की चाल देखकर यह अनुमान लगाया जा रहा है कि भारतीय शेयरों के 'अच्छे दिन' जल्द ही दस्तक देने वाले हैं।

सुबह करीब 11:01 बजे बीएसई सेंसेक्स 919 अंकों की शानदार बढ़त के साथ 77,823 के स्तर पर पहुंच गया। वहीं, निफ्टी 50 इंडेक्स भी पीछे नहीं रहा और 264 अंक चढ़कर 23,615 पर कारोबार कर रहा था। बाजार में आई इस मजबूती का असर बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध सभी कंपनियों के कुल बाजार पूंजीकरण पर भी पड़ा, जो बढ़कर 417.93 लाख करोड़ रुपये हो गया—यानी एक ही दिन में 4.63 लाख करोड़ रुपये की जबरदस्त बढ़त।

विदेशी निवेशकों की वापसी से लौटी रौनक

शेयर बाजार की चमक लौटने का एक अहम कारण विदेशी निवेशकों की वापसी है। शुक्रवार को विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने बाजार में करीब 1,000 करोड़ रुपये डाले। उन्होंने 7,500 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर खरीदे—जो पिछले चार महीनों में किसी एक दिन का सबसे बड़ा निवेश है। गौरतलब है कि सितंबर 2024 के बाद से विदेशी निवेशक लगातार भारतीय बाजार से दूरी बना रहे थे। इस दौरान करीब 29 अरब डॉलर की बिकवाली हो चुकी थी। लेकिन अब ट्रेंड पलटता नजर आ रहा है।

अचानक तेजी के पीछे कौन-से फैक्टर हैं?

यह सवाल लाजिमी है कि आखिर इस जोरदार तेजी की वजह क्या है? 'द मिंट' की एक रिपोर्ट के अनुसार, विशेषज्ञों का मानना है कि कई पॉजिटिव फैक्टर एक साथ काम कर रहे हैं:

  • अमेरिकी फेडरल रिजर्व की बैठक के बाद राहत के संकेत, जिससे आरबीआई की ओर से भी ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद जगी है।
  • घरेलू और विदेशी निवेशकों की ओर से जमकर खरीदारी, जो बाजार में आत्मविश्वास लौटने का संकेत देती है।
  • मॉर्गन स्टेनली जैसे वैश्विक निवेश संस्थानों द्वारा भारतीय अर्थव्यवस्था पर जताया गया भरोसा, जिसने बाजार को बूस्ट किया।

अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत मजबूत हो रहे हैं

प्रॉफिटमार्ट सिक्योरिटीज के शोध प्रमुख अविनाश गोरखकर ने इस तेजी को आर्थिक सुधार से जोड़ते हुए कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था अब रिकवरी के मोड में है। वैश्विक रेटिंग एजेंसी फिच को उम्मीद है कि आने वाले दो वित्तीय वर्षों—FY26 और FY27 में सरकार पूंजीगत खर्च में और वृद्धि करेगी। उन्होंने यह भी जोड़ा कि 2024 की दूसरी तिमाही में भारत की जीडीपी घटकर 5.4% हो गई थी, लेकिन अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में यह 6.2% पर लौट आई। अब 2025 की अंतिम तिमाही के लिए और भी बेहतर आंकड़ों की भविष्यवाणी की जा रही है।

इस तरह देखा जाए तो भारतीय शेयर बाजार की यह तेजी सिर्फ तकनीकी या मनोवैज्ञानिक नहीं है—बल्कि इसके पीछे ठोस आर्थिक संकेत और वैश्विक समर्थन भी शामिल है।


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