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हिंदुओं का पवित्र त्योहार गोपाष्टमी पर्व है। गोपाष्टमी का त्योहार गायों को समर्पित त्योहार है, जो कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी-अथम तिथि को मनाया जाता है। विशेषकर वृन्दावन, मथुरा और बृज जैसे क्षेत्रों के लिए यह एक बड़ा त्योहार है। हिंदू धर्म और शास्त्रों में भी गाय को देवी के रूप में पूजा जाता है। गाय की पूजा और सेवा करने से कष्ट दूर होते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

श्री कृष्ण की सभी लीलाओं में से गोपाष्टमी को सबसे शुभ, शानदार और महत्वपूर्ण लीला माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, कार्तिक शुक्ल की अष्टमी तिथि को नंद महाराज ने अपने कान्हा और बलराम को पहली बार गाय चराने के लिए भेजा था। अत: हर वर्ष इसी तिथि को गोपाष्टमी मनाई जाती है। इस साल गोपाष्टमी आज यानी 9 नवंबर 2024 शनिवार को है।

गोपाष्टमी पर्व से जुड़ा है कृष्ण का कौन सा पत्ता 
पौराणिक मान्यता के अनुसार, जब श्रीकृष्ण छह वर्ष के हुए तो उन्होंने मां यशोदा से कहा- मां, मैं अब बड़ा हो गया हूं। मैं गाय-बछड़े चराना चाहता हूँ। वह बार-बार गायें चराने की जिद करता था। अंततः माँ को अपने लाडूगोपाल की जिद के आगे झुकना पड़ा। यशोदा मैया ने शुभ मुहूर्त में नंद बाबा को ऋषि शांडिल्य के पास गाय चराने के लिए भेजा। जिस दिन नंद बाबा ऋषि शांडिल्य के पास गए और आश्चर्य की बात यह थी कि इस दिन गाय चराने का भी शुभ समय था। इसके बाद कार्तिक शुक्ल की अष्टमी तिथि को कृष्ण ने गया-चरण लीला प्रारम्भ की।

गोपाष्टमी पर क्या करें 
गोपाष्टमी के दिन लोग अपनी गायों और बछड़ों को नहलाते हैं और उन्हें कपड़े और आभूषणों से सजाते हैं। रोली-चंदन का तिलक लगाया जाता है और फूल-मालाएं अर्पित की जाती हैं। इसके साथ ही एक दीपक भी जलाया जाता है. गायों को हरी घास खिलाकर परिक्रमा कराई जाती है। इस दिन गौवंश को अपनी क्षमता के अनुसार दान देना चाहिए। गोपाष्टमी की पूजा करने से घर में सुख, शांति, समृद्धि और ऐश्वर्य आता है।

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