पत्नी को भरण-पोषण न देने पर सीआरपीएफ जवान सस्पेंड
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने सीआरपीएफ जवान को बड़ी राहत दी है. पत्नी को भरण-पोषण भत्ता नहीं देने पर सीआरपीएफ जवान की बर्खास्तगी के आदेश को अदालत ने रद्द कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि ऐसी सज़ा कथित अपराध से कहीं ज़्यादा है. हाई कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा कि अगर कोई जवान अपने परिवार का भरण-पोषण नहीं करता है और मामला अदालत में लंबित है तो सीआरपीएफ कोई कार्रवाई नहीं कर सकती.
न्यायमूर्ति जगमोहन बंसल की पीठ ने हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले के सुरेंद्र कुमार द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया। अदालत ने माना कि सजा का उद्देश्य याचिकाकर्ता को गुजारा भत्ता देने के लिए मजबूर करना था लेकिन सीआरपीएफ ने उसे सेवा से बर्खास्त कर दिया। इसका असर पूरे परिवार पर पड़ेगा जो सज़ा के उद्देश्य के ख़िलाफ़ है. अदालत ने आगे कहा कि शक्ति का होना और उसका सही तरीके से प्रयोग करना सजा के दो अलग-अलग पहलू हैं। अधिकारियों का कर्तव्य है कि वे अपराध की प्रकृति और शमन करने वाली परिस्थितियों पर विचार करें।
क्या है पूरा मामला?
सुरेंद्र कुमार पहले से शादीशुदा थे और उनके दो बच्चे थे. 29 नवंबर 2010 को सुरेंद्र कुमार सीआरपीएफ में कांस्टेबल के पद पर शामिल हुए। पारिवारिक विवाद के बाद उनकी पत्नी ने अदालत और सीआरपीएफ दोनों से अपील की। महेंद्रगढ़ की एक स्थानीय अदालत ने सुरेंद्र कुमार को अपनी पत्नी और बच्चों को प्रति माह 10,000 रुपये का गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया।
सुरेंद्र कुमार ने हाईकोर्ट में अर्जी दी
इसके बाद सीआरपीएफ ने 24 अक्टूबर, 2017 को सुरेंद्र कुमार पर आरोप पत्र दायर किया, जिसमें आरोप लगाया गया कि उन्होंने उच्च अधिकारियों के आदेशों की अवहेलना की और अपनी पत्नी और बच्चों को गुजारा भत्ता नहीं दिया। सीआरपीएफ ने मामले को सीआरपीएफ अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत दंडनीय अपराध बताया। जांच के बाद 7 अप्रैल 2018 को कमांडेंट ने सुरेंद्र कुमार को सेवा से बर्खास्त करने का आदेश दिया. इसके बाद सुरेंद्र कुमार ने हाईकोर्ट में अर्जी दी
हाईकोर्ट ने यह आदेश दिया
सुरेंद्र कुमार के वकील ने हाई कोर्ट को बताया कि उनके खिलाफ कर्तव्य में लापरवाही का कोई आरोप नहीं है. उन पर मुख्य आरोप यह है कि उन्होंने कमांडेंट के आदेश के बावजूद अपनी पत्नी को भरण-पोषण नहीं दिया। वकील ने कोर्ट को बताया कि वह अपने परिवार का समर्थन कर रहे हैं और मामला सुलझ गया है. सुरेंद्र कुमार अपनी पत्नी के साथ हाईकोर्ट में पेश हुए और कहा कि सीआरपीएफ उनके वेतन का 50 फीसदी हिस्सा काटकर उनकी पत्नी को दे सकती है. इसके बाद कोर्ट ने सीआरपीएफ को सेवा से हटाने के साथ ही सजा का नया आदेश पारित करने का निर्देश दिया.
--Advertisement--