हाल ही में दुनिया भर के भक्तों ने हिंदू धर्म के अनुसार श्रीमद भगवद गीता की सालगिरह मनाई है। भगवत गीता का अनुसरण करने से जीवन की दिशा सकारात्मक रूप से बदल जाती है और कठिन राह भी आसान हो जाती है। क्योंकि गीता हमें कर्म करने और आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है।
भागवत गीता को हिंदू धर्म में सबसे पवित्र ग्रंथ माना जाता है। साथ ही यह दुनिया का एकमात्र ऐसा ग्रंथ है जिसकी जयंती मनाई जाती है। हर वर्ष मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को गीता जयंती के रूप में मनाया जाता है।इस वर्ष गीता जयंती 11 दिसंबर 2024 को मनाई गई। भगवान श्रीकृष्ण ने कुरूक्षेत्र की भूमि पर अर्जुन को जो उपदेश दिया, उसे गीता कहा जाता है। गीता की उत्पत्ति कृष्ण के मुख कमल से हुई है।
गीता में 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं, इसका पालन करने वाले को हर समस्या का समाधान स्वत: ही मिल जाता है। इसलिए जो गीता के महत्व को समझता है उसका जीवन सफल होता है।
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोतस्त्वकर्माणि। कृष्ण कहते हैं- तुम्हारा कर्म पर अधिकार है, कर्म के फल पर नहीं। इसलिए परिणाम की चिंता किए बिना इसे करते रहें।
क्रोधाद्भवति समोह: सम्मोहात्स्मृतिविभ्रम:। स्मृतिभ्रंशादबुद्धिनाशो बुद्धिनाशात्प्रणश्यति। -अर्थ: क्रोध से मनुष्य का मन और बुद्धि नष्ट हो जाते हैं। स्मृतिभ्रम मनुष्य की बुद्धि को नष्ट कर देता है और जब बुद्धि नष्ट हो जाती है तो मनुष्य स्वयं को नष्ट कर लेता है।
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत:। अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्। -अर्थ: जब-जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होती है। मैं (श्रीकृष्ण) हर बार धर्म के पुनरुत्थान के लिए अवतार लेता हूं।
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